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Bangladesh Formation : जब दुनिया ने जानी भारतीय सेना की ताकत, कैसे इंडियन आर्मी ने बांग्लादेश बनाकर ही दम लिया

जब दुनिया ने जानी भारतीय सेना की ताकत, कैसे इंडियन आर्मी ने बांग्लादेश बनाकर ही दम लिया

Rahul Anand

Bangladesh Formation : तारीख 16 दिसंबर साल 1971 जगह ढाका का रेसकोर्स मैदान , जो अभी भी पाकिस्तान का पूर्वी इलाका था। लेकिन जंग में पाकिस्तान के दो टुकड़े होने के बाद मुक्ति वाहिनी पूर्वी पाकिस्तान जिसे अब बांग्लादेश कहा जाता है। अब चलते उस किस्से को जानने जिसमें भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जिन्हे बाद जंग के बाद मे आयरन लेडी कहा जाने लगा । इंदिरा के एक फैसले ने कैसे पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए। और पाकिस्तानी सैनिकों ने सरेंडर कर दिया । पूरा पाकिस्तान शिकस्त देख बिलबिला उठा। आज हम जानेंगे कैसे जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने पाकिस्तानी कमांडर एस के नियाजी ने सरेंडर किया था । और बांग्लादेश के संस्थापक मुजीबुर्रहमान ने इंदिरा गांधी का शुक्रिया अदा कैसे किया ।

क्यों हुआ था संघर्ष , क्या थी वजह

यह बात है साल 1970 की , महीना दिसंबर का था पाकिस्तान की संसद में चुनाव हुए थे 14 अगस्त 1947 में पाकिस्तान को मिली आजादी के 23साल बाद यह पहली बार संसद के चुनाव कराए जा रहे थे। उद वक्त 300 सीटें हुआ करती थी । पश्चिम पाकिस्तान में 138 और पूर्वी पाकिस्तान में 162 सीट थी इस चुनाव में आवामी लीग पार्टी ने पूर्ण बहुमत प्राप्त किया । आवामी लीग पाकिस्तान के पूर्वी हिस्से यानी बंगाली बहुल इलाके में अधिक प्रभाव रखती थी। इस पार्टी के नेता है शेख मुजीबुर्रहमान थे आवामी लीग को 160 सीटें मिली थीं जो सभी पूर्वी इलाके में थी । बात तब अखरी जब पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल याहा खान ने आवामी लीग को सरकार बनाने का न्योता नहीं दिया। जनरल याह्या खान की मंशा खोटी थी वो चाहते थे कि मार्शल लॉ जारी रहे।

Bangladesh Formation : तारीख 16 दिसंबर साल 1971 जगह ढाका का रेसकोर्स मैदान , जो अभी भी पाकिस्तान का पूर्वी इलाका था।
Bangladesh Formation : तारीख 16 दिसंबर साल 1971 जगह ढाका का रेसकोर्स मैदान , जो अभी भी पाकिस्तान का पूर्वी इलाका था।

लेकिन शेख मुजीबुर्रहमान को यह रास नहीं आया उन्होंने इसके खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया । इसके बाद मुजीबुर्रहमान कई साथियों के साथ मिलकर पूर्वी पाकिस्तान में आंदोलन करने लगे । पाकिस्तान के लोगों में जो भावना बंगालियों के भरी थी वह उजागर हो गई पाकिस्तान हुक्मरान आंदोलन देखकर चिंतित हुए और आर्मी के दम पर पूर्वी पाकिस्तान में लोगों का दमन शुरू करवा दिया । पाक आर्मी ने मानवता की सारी हदें पार कर दी थी। बच्चे और महिलाएं को नहीं छोड़ा , महिलाओ के साथ पाकिस्तान आर्मी ने बलात्कार किया । इसके बाद लोग वहां से भागकर भारत आने लगे । भारत पर दबाव बढ़ता गया। भारत सरकार ने पूरे मसले पर हस्तक्षेप किया और सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी ।

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सिर्फ 13 दिन मे पाकिस्तान सैनिकों ने हथियार डाल दिए

भारत ने सैन्य कार्रवाई ऐसी की , पाकिस्तान ने महज 13 दिन में सरेंडर कर दिया। 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान से बांग्लादेश (Bangladesh Formation )अलग हुआ । दुनिया ने नए देश बांग्लादेश को शुभकामनाए दी । शेख मुजीबुर्रहमान संस्थापक बने । कहा तो यह जाता है कि भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी छह महीने पहले ही पाकिस्तान पर कार्रवाई करना चाहती थी । पाकिस्तान में दमन बढ़ने लगा। लोग भारत की सीमा में दाखिल होने लगे। बात दिल्ली पंहुचाई गई इंदिरा गांधी ने सेनाध्यक्ष सैम मानेक शॉ को बुलाया। पूर्वी पाकिस्तान का इलाज नदी घाटी का इलाका है कई नदी पांच पांच मील चौड़ी है कोई सड़क मार्ग नहीं था। इसलिए बेहतर यही होगा कि मानसून का सीजन होते ही कार्रवाई शुरू कर देते है इंदिरा गांधी ने सेनाध्यक्ष की बात मानी और दिसंबर 1971 के पहले सप्ताह में कार्रवाई शुरू कर दी ।

कमान दी गई भारतीय सेना के पूर्वी कमांड के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोरा को । जो करीब तीन हजार सैनिकों के साथ पहले से ढ़ाका में मौजूद थे। उधर पाकिस्तान के सैन्य कमांडर अमीर अब्दुल्ला खान नियाजी 26 हजार सैनिक के साथ थे। लेकिन भारत की छोटी सी सेना की टुकड़ी के आगे पाकिस्तान पस्त हो गया ।स्थानीय लोगों की सहयोग से पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों की धूल चटा दी । पाकिस्तान (Bangladesh Formation ) हताश हो चुका था और सरेंडर करने की बात मान ली । सरेंडर के वक्त तय हुआ कि प्रक्रिया ढ़ाका के रेसकोर्स मैदान पर होगी है 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान के जेनरल नियाजी ने सरेंडर किया । भारत की तरफ से जिम्मेदारी जगजीत सिंह अरोरा को मिली । यह वही जगजीत सिंह थे जो पाकिस्तान के जनरल नियाजी के साथ ब्रिटिश जमाने में मिलिट्री स्कूल में पढ़ते थे। और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल याह्या खान और जगजीत सिंह बैचमेट थे।

15 दिसंबर को भारत और पाकिस्तान में क्या चल रहा था

सरेंडर के एक दिन पहले पाकिस्तान अपनी आवाम से झूठ बोल रहा था कि हालात काबू में है जंग जीतने को लेकर बधाइयां देना शुरू कर रहे थे लेकिन उनके इस दावे में कोई सच्चाई नहीं थी । पाकिस्तानी सेना सरेंडर कर रही थी उधर दिल्ली में पीएम इंदिरा गांधी संसद भवन में एक स्वीडिश टीवी को इंटरव्यू दे रही थी तभी फोन की घंटी बजी फोन पर मानेक शॉ थे उन्होंने खबर दी की पाकिस्तान ने सरेंडर कर दिया हम जीत गए। इंदिरा गांधी ने पत्रकार से कहा माफ करिए इंटरव्यू यही खत्म हुआ इंदिरा गांधी लोकसभा गई उन्होंने ऐलान किया ढ़ाका अब एक स्वतंत्र देश की स्वतंत्र राजधानी है । संसद में बैठे पक्ष और विपक्ष ने जोरदार तालियां बजाई ।

सभी पाकिस्तानी सैनिक भारत लाए गए और भारत ने कहा की जेनेवा प्रोटोकॉल के तहत सैनिकों के साथ व्यवहार होगा। भारत ने सभी पाकिस्तानी सैनिक को अलग अलग कैंप मे रखा और चाय, काफी , नाश्ता खाना की व्यवस्था की गई । मेहमानबाजी में कोई कसर नहीं छोड़ी । साल 1974 में पाकिस्तान के सैनिकों की वापसी कराई गई पाक जनरल नियाजी पाकिस्तान भेजे गए। सैनिकों को भेजने की प्रक्रिया तीन महीने तक चली । 16 दिसंबर 1971 को बांग्लादेश का उदय हुआ । जैसे भारत के संस्थापक महात्मा गांधी बने, पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना बने उसी तरह बांग्लादेश के नए और पहले संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान बने ।

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