#Kukrukoo_Sahitya : इश्क का मुकम्मल न होना भी इश्क होता है।
मोनिका चौहान
“कब आओगे, आनंद? मैं ज्यादा समय तक इंतजार नहीं कर सकती। मां-बाबा मेरे लिए रिश्ते तलाश रहे हैं। तुम बस जल्दी आ जाओ। तुम्हारी वीणा।”
संदूक में मिले इस पोस्टकार्ड को पढ़कर सुहाना के मन में कई सवाल खड़े हो गए थे। आखिर किसका था…
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