Strong RSS Strong India : मुस्लिम विरोधी नहीं, देश में सेवा और सत्कार की संस्था है आरएसएस
Brajesh Saini
Strong RSS Strong India : आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ , आप आरएसएस को कितना जानते है मोहन भागवत तक , या फिर वो आरआरएस को हमेशा बीजेपी के लिए खड़ी रहती है , वो आरआरएस जो देश में अपनी पहचान हिंदुत्व के रूप में बना रखी है । जो समूचे देश को अखंड भारत बनाना चाहता है । आप आरएसएस को मुस्लिम विरोधी समझते होंगे । सिर्फ इतना ही परिचय नहीं है राष्ट्रीय स्वयं सेवक का । हम जब आपको बताएंगे की आरएसएस ने कैसे देश ही नहीं बल्कि विश्व जगत में अपनी पहचान बनाई है ।
आपको जानकर हैरानी होगी कि आरएसएस विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संस्थान है । इसका मुख्यालय महाराष्ट्र के नागपुर में है आरएसएस की स्थापना 97 वर्ष पहले दशहरे के दिन 25 सितम्बर 1925 को रखी गई । आने वाले तीन सालों बाद साल 2025 में आरएसएस (Strong RSS Strong India )अपने स्थापना के 100 पूरे कर लेगा । राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना डॉक्टर केशव बलिराम हेड गेवार ने रखी थी । पांच लोगो से शुरू हुई यह शाखा कब धीरे धीरे भारत में विख्यात हो गई पता ही भी चला । आज देशभर में आरएसएस की 50 से अधिक शाखाएं है और लाखों स्वयंसेवक जुड़े है । स्वयंसेवक का अर्थ होता है स्वेच्छा से काम करने वाला , संघ के विचारों को मानने वाला.

लोगों ने जब केशव बलिराम हेडगेवार का मजाक बनाया
हमने आपको अभी यह तो बता दिया कि डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार ने ही आरएसएस की स्थापना आज से 97 वर्ष पूर्व रखी थी । आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उस समय उनके साथ महज पांच लोग इस सस्था से जुड़े थे उसमें भी सभी बच्चे थे कोई भी बुजुर्ग व्यक्ति नहीं था तब कई लोगों ने केशव बलिराम हेडगेवार का खूब मजाक बनाया । बच्चों को लेकर क्रांति की ज्वाला फूकने वाले केशव बलिराम हेडगेवार ने बहुत जल्द अपनी मेहनत से यह बता दिया कि करने से क्या नहीं हो सकता है । आज संघ विश्व का सबसे बड़ा स्वयं सेवी और हिन्दू संगठन बन गया है ।
संघ की पत्रिकाएं देश के लाखों लोग पढ़ते है। इनकी पत्रिका अंग्रेजी में ऑर्गनाइज़र है और हिंदी में पांचजन्य नाम से है । किशोरों के लिए देवपुत्र पत्रिका है आरएसएस के छोटे बड़े 55 अनुसांगिक संगठन है । जो पूरे विश्व में अलग अलग नामों से संचालित होती है सेवा भारती, विधा भारती, संस्कार भारती, मजदूर भारती, बजरंग दल और राष्ट्रीय सिख संगत जैसे ये संघटक आरएसएस के ही घटक है । एक बार भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी आरएसएस के अलग अलग संस्था मे गए तो उन्होंने देखा कि यहां अनुशासन अधिक है छुआछूत बिल्कुल नहीं है सभी के साथ एक साथ व्यवहार किया जाता है गांधी जी ने फिर कहा आरएसएस(Strong RSS Strong India )संसार का एक ऐसा संगठन है जिसमे भ्रष्टाचार और अनैतिक कि स्थित नहीं आई । तब गांधी जी आरएसएस के कामकाज और उनके विचार धारा से प्रभावित हुए थे । देश के 30 प्रांतों में 11498 शाखाएं चल रही है और नियमित रूप से शाखा में अपनी उपस्थित दर्ज करवाने वाला ही स्वयंसेवक होता है ।
आरएसएस के योगदान हर क्षेत्रों नजर आया है
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को सांप्रदायिक , हिंदूवादी फांसी वादी , और इसी तरह ना जाने कितने बेतुके शब्दो से पुकारे जाने वाले एक संघठन के तौर पर आलोचना सहते हुए और सुनते हुए आरएसएस ने 9 दशक निकाल लिए है दुनिया के किसी संघठन की शायद इतनी आलोचना की गई हो । बिना किसी तथ्य और आधार के लोगों ने आरएसएस पर खूब जहरीले तीर छोड़े है लेकिन आरएसएस ने कभी पलटकर जवाब नहीं दिया है यह कहते हुए कि देश का प्रत्येक नागरिक भारतवासी है फिर चाहे उसका धर्म कुछ भी हो । खासतौर पर मुस्लिम समुदाय आरएसएस को बहुत ही भद्दी नजर से देखता और अपनी प्रतिक्रिया देता है । आपको आरएसएस के योगदान और खूबियों से परिचय कराते है ।

कश्मीर का विलय और उसकी निगहबानी
साल 1947 मे संघ(Strong RSS Strong India )के स्वयसेवकों ने कश्मीर सीमा पाकिस्तानी सेना की गतिविधियों पर बिना किसी प्रशिक्षण मे पैनी नजर रखी । सच तो यह है कि यह काम ना तो नेहरू और लॉर्ड माउंटबेटन कर रहे थे और ना ही कश्मीर ने राजा हरिसिंह । पाकिस्तान की कई टुकड़ी सीमा पर घुस रही थी तो स्वयसेवकों ने बिना कुछ सोचे उनसे लोहा किया और अपने प्राण त्याग दिए । पाकिस्तान से जान बचाकर आए 3 हजार शरणार्थी के लिए संघ ने कैंप लगाया और रहने का इंतजाम किया ।
1962 युद्ध में आरएसएस की भूमिका
सेना की मदद के लिए देशभर से स्वयसेवकों ने बड़ी उत्साह के साथ सीमा पर गए थे । आरएसएस ने सरकारी कार्यों और जवानों की मदद के लिए पूरी ताकत लगा दी । फिर पीएम जवाहर लाल नेहरू ने आरआरएस 26 जनवरी 1963 की परेड मर शामिल होने के लिए आरएसएस को न्योता दिया था तब नेहरू की कई लोगो ने आलोचना की थी लेकिन नेहरू ने करारा जवाब दिया था । और कहा की यह दर्शाने के केवल लाठी के बल पर सफलतापूर्वक बल और चीनी सशस्त्र से लडा जा सकता है इसलिए आरएसएस के योगदान को इंकार नहीं किया जा सकता । देश में उनका योगदान है ।

भूकम्प से लेकर कोरोना काल में आरएसएस के कार्यकर्ता मसीहा बनकर उभरे
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को जिसने करीबी से पहचाना और देखा है सिर्फ वही इस संघ की सच्चाई जानते है । नेपाल में कुछ साल पहले भूकम्प आया था तब गुजरात के 16 हजार कार्यकर्ता बिना किसी भेदभाव के मदद के लिए पहुंचे थे और पीड़ित की मदद के लिए धन भू जुटाया था। 50 से अधिक डॉक्टरों की टीम भेजी थी साथ ही दस हजार टेंट लगवाए। आरएसएस ने हर सम्भव मदद की । साल 2020 में जब भारत में करोना वायरस की वजह से लोग मर रहे थे बिलख रहे थे भूखे थे प्यासे थे । मजदूर घर वापसी कर रहा था तो आरएसएस ने भी जान जोखिम में डालकर लोगों की मदद की थी ।आरएसएस(Strong RSS Strong India ) ने पुणे में निशुल्क कोविड़ सेंटर बनाया और जांच कराई । ग्वालियर में 100 बिस्तरों वाले कोवीड सेंटर बनाया ।
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आरएसएस ने भारत के सभी राज्यों में करोना काल में मदद की । ना जाती देखी ना धर्म देखा सिर्फ मानवता को देखा । मुस्लिम समुदाय के लिए आरएसएस हमेशा आगे रहा है। मुस्लिम बेटियो पर अत्याचार को लेकर आरएसएस मुस्लिम बुद्धजीवियों पर हमला बोला है। तीन , तलाक, हलाला , बहु विवाह, हिजाब जैसे मुद्दे उठाए है । मुस्लिम समाज को जागरूक करने के लिए आरएसएस देशभर में अभियान चलाएगा । मुस्लिम त्योहारों पर आरएसएस कमजोर और गरीब परिवार को राशन और जरूरी सुविधाएं उपलब्ध करवाता है । आज आरएसएस को पहचानने की जरूरत है।
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