#Kukrukoo_Sahitya : पढ़िए मोनिका चौहान की सुपरहिट कहानी ‘चम्पा’
#Kukrukoo_Sahitya : पढ़िए मोनिका चौहान की सुपरहिट कहानी ‘चम्पा
गांव में लाजो चाची के घर लल्ला हुआ था। जश्न का माहौल था और चम्पा को मनोरंजन के लिए बुलाया गया था। 45 साल की नाचने-गाने वाली चम्पा को हर तीज-त्यौहार में मनोरंजन के लिए बुलाया जाता था। ये उसकी रोज़ी रोटी का सवाल था। आज बड़े घर में कार्यक्रम था और हो भी क्यों न लाजो चाची को पोता जो हुआ था। उनके घर का दीपक जला था। सो, चम्पा ने भी गाना गाने और नाचकर सबका मनोरंजन करने में कोई कमी नहीं छोड़ी।
कार्यक्रम पूरा होने के बाद वो घर के लिए निकली ही थी कि तभी उसे लाजो चाची पुकारती है। खटिया पर रोब के साथ बैठी लाजो चाची के पास पहुंचकर चम्पा उन्हें प्रणाम करती है और उनके बगल में ज़मीन पर बैठ जाती है। “तूने आज दिल खुश कर दिया चम्पा। ले ये तेरी पेशगी। दुआ कर कि मेरा लल्ला जुग-जुग जिए।” चंपा की झोली में नोटों की गड्डी रखते हुए लाजो चाची कहती है। चम्पा बिना कुछ कहे चाची को प्रणाम कर वहां से चली जाती है।
घर पहुंचकर वो हाथ-मुंह धोकर खाना बनाने के लिए बैठती है कि तभी उसका पति रघु उसे आवाज़ लगाता है। एक दुर्घटना में घायल रघु अब सहारे के लिए लाचार है। वो चम्पा से कहता है, “तुम आज फिर गई थी, नाचने-गाने। कितनी बार कहा है कि ये सब छोड़ दो। ठीक नहीं है।” “तो और क्या करूं? बोलो। तुम्हें पता है कि मैं ये सब क्यों कर रही हूं? खाना तैयार है मैं लाती हूं।” इतना कहते ही चंपा रघु के लिए खाना गर्म करने चली जाती है।
अगले दिन चम्पा पानी लेकर घर की ओर जा ही रही होती है कि उसे लोगों की गुपचुप सुनाई देती है। एक आदमी कहता है, “अरे, तुम्हें पता है। जिले में नई पुलिस अधिकारी की भर्ती हुई है और वो भी किसी औरत की।” इस बात को सुनकर दूसरा आदमी हैरानी से कहता है, “क्या, महिला पुलिस अधिकारी। फिर तो खूब हुकुम बजाएगी।” तभी वहां खड़ा एक तीसरा आदमी कहता है, “हमें उनके स्वागत के लिए कार्यक्रम रखना चाहिए। उन्हें अच्छा लगेगा।”
पहला आदमी, “सही कह रहे हो। चम्पा को बुलाएंगे मनोरंजन के लिए।” वो कह ही रहा होता है कि तभी उसकी नज़र बगल से गुज़र रही चंपा पर पड़ती है। “अरे, चंपा सुन। नई महिला पुलिस अधिकारी के सम्मान में कार्यक्रम रख रहे हैं। कल है, समय से पहुंच जाना।” उसके इतना कहते ही चंपा हां में सिर हिलाते हुए चली जाती है।
कार्यक्रम का दिन आता है। पुलिस थाने के बाहर के मैदान को बेहतरीन तरीके से सजाया गया है। समय के अनुसार, सब वहां पहुंच जाते हैं। चंपा भी मनोरंजन के लिए पहुंचती है और गाना शुरू कर देती है कि तभी महिला पुलिस अधिकारी वहां पहुंच जाती है। गांव के बड़े पुरुष और महिलाएं माला पहनाकर उनका स्वागत करते हैं। सभी का अभिनंदन स्वीकार करते हुए वो महिला पुलिस अधिकारी एक छोर पर गाने में मगन चंपा के पास जाकर अपने गले की सभी मालाएं उतारते हुए उसके पैरों के पास रख देती है। ये देखकर सारे गांव वाले हैरान रह जाते हैं।
अपने पास फूलों की मालाओं को देख चंपा उस चेहरे को देखती रह जाती है। तभी आवाज़ आती है, “बस, मां। तेरी तपस्या पूरी हुई।” महिला पुलिस अधिकारी के इतना कहते ही चम्पा भावुक हो जाती है और रोते हुए अपनी बेटी राधा को गले लगा लेती है। वहीं बेटी, जिसके भविष्य को संवारने के लिए वो इतनी महेनत कर रही थी। वहीं, बेटी जिसे उसने पांच साल की उम्र में अपने भाई के पास पढ़ने के लिए शहर भेज दिया था। आज उसकी तपस्या रंग लाई थी।