Devanand : खुद की जिंदगी से प्यार करने वाला अभिनेता देवानंद , जिस पर तीन पीढ़ियों की महिलाएं थी फिदा
Devanand, an actor who loves his own life, on whom women of three generations fell.
Devanand : बॉलीवुड में कई ऐसे अभिनेता आए जिन्होंने अपने किरदार से दर्शकों को आकर्षित किया साथ ही उनके कातिलाना अंदाज ने ना जाने कितनी महिलाओं के दिल तोड़े । हिंदी सिनेमा में अगर किसी एक सख्स के लिए आइकन शब्द का इस्तेमाल किया जाता है तो वह कोई और नहीं बल्कि अपनी अनोखी अदाकारी से अपनी पहचान बनाने वाले देवानंद है। अपनी स्टाइल में बोलना , झुककर चलना, बदन पर तंग पतलून , गले में स्कार्फ , सिर पर बैगी कैप, आंखो से बात करने वाला एवरग्रीन देवानंद 88 साल के नौजवान अभिनेता ।
नौजवान इसलिए क्योंकि एक बार देवानंद ने खुद कहा था कि वह सिनेमा के लिए ताउम्र जवान रहेंगे। उन्होंने अपनी अदाकारी से साबित भी किया है। जुलाई साल 1923 में गुरदासपुर में जन्मे देवानंद जेब मे 30 रूपये लेकर 1943 मे फ्रंटियर मेल लाहौर से मुंबई गए थे। देवानंद ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि सिर्फ चार साल बाद देश के बंटवारा हो जाएगा। और उन्हें लाहौर जाने के लिए 56 सालों का इंतजार करना पड़ेगा। देवानंद ने एक बार कहा था कि उन्होंने लाहौर सरकारी कॉलेज से बीए ऑनर्स किया था और मेरा मन आगे मास्टर्स करने का था लेकिन पिता की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी पिता चाहते थे कि घर का हाथ बटाऊं और बैंक में नौकरी करूं । देवानंद ने तब एक टिकट खरीदा और दो सालों तक मुंबई में संघर्ष किया। 1945 में पहली बार मैंने फिल्म साइन की । उद फिल्म का नाम हम एक था ।मुझे पहला ब्रेक मिला फिर मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

सुरैया से किया इश्क तो जीनत पर आया दिल
बॉलीवुड में अभिनेता का अपनी को स्टार के साथ प्यार मोहब्ब्त की ख़बरें आम बात थी। देवानंद और सुरैया का इश्क बॉलीवुड में शानदार प्रेम कहानियों मे से एक है । देवानंद की आर्थिक हालात ठीक नहीं थी जबकि सुरैया के पास गाडियां थी , कैडलक थी। लिंकन भी थी और देवानंद पैदल ही चलता था । देवानंद और सुरैया की दोस्ती बढ़ती गई। फिर भी दोनों शादी के मुकाम तक नहीं पहुंच सके । एक बार की बात है जब देवानंद ने बंबई के जवेरी बाजार से सुरैया के लिए एक हीरे की अंगूठी खरीदी थी। लेकिन सुरैया की नानी बेगम को यह रिश्ता पसंद नहीं आया । सुरैया एक दिन देवानंद को घर की छत में ले गई फिर बताया की तुम्हारी अंगूठी को नानी ने मरीन ड्राइव के समुद्र में फेंक दिया था।
समय बीता फिर कुछ समय बाद देवानंद का दिल जीनत अमान पर आया। देवानंद को पता नहीं चला कि उनको जीनत अमान से इश्क कब हुआ। फिर देवानंद ने जीनत को इश्क की बात बताने के लिए ताज होटल में एक टेबल बुक कराई। लेकिन जीनत पहले से राज कपूर के साथ थी । जो नशे में धुत थे। जीनत ने झुककर उनके पैर छुए । उन्हे लगा कि राज कपूर और जीनत के बीच नजदीकियां ज्यादा है देवानंद जीनत अमान से बोले तुम इंजॉय करो मै निकलता हूं फिर देवानंद होटल से बाहर चले गए और देवानंद ने उसके बाद से जीनत अमान की तरफ कभी मुड़कर नहीं देखा।
देवानंद की नेहरू से मुलाकात और नवाज शरीफ से दोस्ती
आजादी के बाद भारत में फिल्में जोरों से बननी शुरू हो गई थी। साल 1947 के आसपास सिर्फ तीन अभिनेताओं का ही जलवा था। राज कपूर , ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार और रोमांस में नंबर वन और लोगों के दिलों में राज करने वाले देवानंद तीसरे अभिनेता थे। दिलचस्प बात है यह कि एक बार तत्कालीन भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने तीनों अभिनेता को अपने यहां बुलाया था। जब तीनों नेहरू के पास गए तो पीएम ने सभी को गले लगाकर स्वागत किया। उस समय उन्हे बुखार था। राज कपूर ने नेहरू पर सवाल दाग दिया । कि पंडित जी हमने सुना है आप जहां भी जाते है औरतें पीछे भागा करती थी। नेहरू ने मुस्कुराते हुए कहा नहीं मै इतना फेमस नहीं हूं जितना आप लोग है राज कपूर ने फिर सवाल किया हमने सुना है कि लेडी माउंटबेटन का दिल जीत लिया क्या यह सही बात है। नेहरू है हंसते रहे।
फिर दिलीप कुमार ने कह डाला की हमने सुना है कि लेडी माउंटबेटन ने खुद स्वीकार किया कि आप उनकी कमजोरी थे। नेहरू ने मुस्कुराते हुए कहा लोग चाहते है कि मै इन कहानियो पर यकीन कर लूं लेकिन ऐसा नहीं है । देवानंद की दोस्ती सीमा पर पाकिस्तान में भी थी । नेपाल के महाराजा महेंद्र , भारत के पूर्व रक्षा मंत्री कृष्ण मेनन, और पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ देवानंद के करीबी दोस्त थे। देवानंद ने तब मुलाकात की थी जब पहली बार अटल बिहारी वाजपेई बस में बैठाकर लाहौर ले गए थे।
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आपको जानकर हैरानी होगी कि अटल जी ने नवाज शरीफ से कहा था कि वह भारत से आपके लिए क्या लाए तो नवाज ने कहा था कि भारत से देवानंद को लेते आए । दोनों एक दूसरे से काफी मिलते थे । नवाज शरीफ को देवानंद की एक फिल्म सीआईडी के गाने का जिक्र किया । जिसमें नवाज शरीफ देवानंद का गाना लेके पहला पहला प्यार में देवानंद को झूमते हुए देखते थे। देवानंद की अदाकारी और उनके चेहरे पर हर उम्र की महिलाएं मरती थी । यूं समझिए जब वह निकलते थे तो किशोरावस्था, युवावस्था और बुजुर्ग तीनों पीढ़ी की महिलाएं देवानंद पर फिदा थी ।
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