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Daughters day special : एक कहानी छोटी सी

खुशी झा

एक कहानी छोटी सी
थी एक गुड़िया प्यारी सी
माँ पापा की दुलारी सी
फुदक-फुदक के जब वो चलती
फूल से भी प्यारी लगती
कुछ दिन यूं ही हंसती खेली
बड़ी हो गयी राज दुलारी सी
माँ के सपने देखे दिन-रैन
आयेगा कोई सपनों का राजा
ले जायेगा बगिया का फूल
सिसक-सिसक के रह जाएंगे माँ के अरमानो के फूल….

रोक ना पायेगी उसको
बन जाएगी फूल एक सुन्दर क्यारी सी
सोच सोच के भविष्य के सपने हो रही थी मन में गुदगुदी सी,
फुदक-फुदक फिर घुंघरु बजाई थी
माँ-पापा की दुलारी सी
अभी तो ये छोटी सी
फिर क्यूँ भविष्य की चिंता सतायी थी?
है एक गुड़िया प्यारी सी
माँ पापा की दुलारी सी।

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