Corona से फेफड़ों को ही नुकसान नहीं, ये खून का थक्का जमा लोगों की जान ले रहा
Corona does not only damage the lungs, this blood clot is killing people

विनोद कुमार
नई दिल्ली. कोरोना वायरस सिर्फ फेफड़ों को ही अपने चपेट में नहीं ले रहा है, बल्कि मरीज़ों में खून के थक्के जमने और हार्ट अटैक कि वजह भी बन रहा है.
सामान्य तौर पर कोविड मरीज़ों में या कोविड से रिकवरी के 6 या 8 सप्ताह बाद तक खून के थक्के जमने कि समस्या देखी जा रही है.
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बीच पटना के चार अस्पतालों में हुए डेथ ऑडिट में पता चला है कि 500 में से लगभग 280 कोरोना मरीज़ों की मौत खून के थक्के जमने से हुई है. उन मरीज़ों के फेफड़ों के साथ ब्रेन और हार्ट में भी थक्के पाये गये. इसके साथ ही उन्हें निमोनिया और हायपोथायरेडिस्म जैसी बीमारियों से भी जूझना पड़ा.
कोविड मरीज़ में डीप वेन थ्रोम्बोसिस और आर्तेरियल थ्रोम्बोसिस दोनों तरह की समस्या देखने को मिली है.नस में यदि खून का थक्का जमा तो उसे डीप वेन थ्रोम्बोसिस (डीवीटी ) कहते हैं.यह समान्यतया जानलेवा नहीं होता है.इस हालत में पैर के नसों में खून का थक्का जम जाता है, जो पैर में सूजन और अन्य समस्याओं के कारण बनते हैं. वहीं शरीर के धमनियों में खून के थक्के जमकर चला गया तो उसे आर्तेरियल थ्रोम्बोसिस कहते हैं. इसमें हार्ट की कोरोनरी आर्टरिज में यदि खून के थक्के हुए, तो हार्ट अटैक की आशंका काफ़ी बढ़ जाती है. वहीं फेफड़े में खून पल्मोनरी आर्टरिज ले जाती है, उसमें यदि खून के थक्के जम जाते हैं तो, पल्मोनरी अम्बोलिस्म यानि खून के थक्के से फेफड़े के ब्लॉक हो जाने का खतरा रहता है. यदि ब्रेन में खून जम जाता है तो, मरीज को ब्रेन स्ट्रोक होने का खतरा रहता है.
थ्रोम्बोसिस के रिस्क फैक्टर वाले लोग यदि कोविड के शिकार होते हैं, तो ब्लड प्रेशर और शुगर लेवल पर नज़र बनाये रखें और उन्हें नियंत्रण में रखें.
यदि हार्ट की आर्टरिज में खून के थक्के बने हो,तो सांस फूलने लगेगी और सीने में जोर से दर्द हो सकता है. ब्रेन में यदि खून जमा हो,तो आवाज का बंद होना, हाथ पैर कमजोर हो जाना और सिर चकराना आदि हो सकता है. ऐसी किसी भी हालत में बिना कोई देर किये मरीज़ को डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
आहार में शाकाहारी खाना सबसे अच्छा है. फल और सब्जियाँ अधिक मात्रा में लेना चाहिए. रेड मीट नहीं के बराबर खाना चाहिए. अधिक से अधिक तरल खाना लेना चाहिए. यदि धूम्रपान की आदत है, तो उसे बिल्कुल छोड़ देना चाहिए.
डॉक्टर्स के अनुसार थ्रोम्बोसिस का पता लगते ही अस्पताल में तत्काल उपचार के जरिये मरीज़ो को गंभीर खतरे से बचाया जा सकता है. इसके उपचार के क्रम में दवा से खून के थक्कों को समाप्त किया जाता है, साथ ही मरीज़ में पल्मोनरी एम्बोलिस्म की हालत होने से रोकना होता है. खून के बड़े थक्के बन जाने की हालत में थ्रोम्बेकटोमी से थक्के को सर्जरी कर बाहर निकाला जाता है.
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