सभी पार्टियों के लिये लिटमस टेस्ट है हैदराबाद नगर निगम चुनाव
हैदराबाद। ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव सभी बड़े राजनीतिक दलों के लिये लिटमस टेस्ट है।
तेलंगाना की राजधानी और आर्थिक गतिविधियों वाला बड़ा शहर होने के कारण सभी बड़े दल चाहते हैं कि वे चुनाव जीत कर इसके मेयर की सीट पर कब्जा कर लें।
सत्तारूढ़ दल तेलंगाना राष्ट्र समिति( टीआरएस) को शहर में कराये गये विकास कार्यों का भरोसा है। पार्टी का दावा है कि पिछले छह साल में 67, 140 करोड़ रुपये के विकास कार्य कराये गये हैं। उसके पास 100 पार्षद और छह लाख पार्टी सदस्य हैं, जो उन्हें हैदराबाद नगर निगम का मेयर पद हासिल करने में उसकी मदद करेंगे। पार्टी को उम्मीद है कि कांग्रेस और भाजपा की कमजोर कैडर क्षमता उसके लिये जीत का मार्ग खोलेगी।
वहीं पिछले लोकसभा चुनाव में चार सीटों और विधानसभा के एक उपचुनाव में मिली जीत से भाजपा उत्साहित है। स्थानीय चुनावों भाजपा मुख्य विपक्षी पार्टी के तौर पर उभरी है और उसे उम्मीद है कि नगर निकाय चुनाव में उसका प्रदर्शन बेहतर होगा और वह टीआरएस ,कांग्रेस और ओवैसी की पार्टी को हरा देगी।
भाजपा ने नगर निगम के इस चुनाव को बहुत गंभीरता से लिया है। पार्टी ने अपने कई दिग्गज नेताओं को प्रचार में उतारा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस , सांसद स्मृति ईरानी और तेजस्वी सूर्या जैसे नेता अपने उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार कर चुके हैं।
हैदराबाद के पुराने शहर में ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलमीन ( एआईएमआईएम) का दबदबा है। इसकी सात विधानसभा सीटों पर पार्टी का कब्जा है। ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम की 50 सीटों पर पार्टी की पकड़ है। वह हर हाल में अपने गढ़ में बेहतर प्रदर्शन की कोशिश करेगी।
दूसरी तरफ कांग्रेस पिछले विधानसभा चुनाव में अपनी काफी सीटें गंवा चुकी है, लेकिन पार्टी को उम्मीद है कि कई इलाकों में उसका आधार अब भी मजबूत है। पार्टी को ईसाई समुदाय के मतदाताओं का भी भरोसा है।