शहाबुद्दीन को उसके अंजाम तक पहुंचाने वाले चंदा बाबू नहीं रहे
शहाबुद्दीन को उसके अंजाम तक पहुंचाने वाले चंदा बाबू नहीं रहे
देश के चर्चित तेजाब हत्याकांड में अपने दो बेटों को खोने वाले चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू का बुधवार की रात निधन हो गया। चंदा बाबू कई महीनों से बीमार चल रहे थे। बुधवार रात अचानक ही उनकी तबीयत बिगड़ी। तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन हॉस्पिटल जाने से पहले ही उनका निधन हो गया। चंदा बाबू के निधन से इलाके में शोक की लहर है। आसपास के लोग चंदा बाबू को याद करने के साथ ही उनके संघर्ष को भी याद कर रहे हैं।
सिवान के चर्चित तेजाब हत्याकांड में शहाबुद्दीन के आदमियों ने 16 अगस्त 2004 को चंदा बाबू के दो बेटों सतीश और गिरीश को तेजाब से नहला कर मार दिया था। मारने के बाद इन दोनों के लाश को बोरे में भरकर फेंक दिया गया था। चंदा बाबू का तीसरा बेटा राजीव इस घटना का चश्मदीद गवाह था। इस घटना के बाद राजीव किसी तरह अपराधियों के चंगुल से भाग निकलने में कामयाब रहा।
दो बेटों की हत्या के बाद चंदा बाबू पूरी तरह से टूट चुके थे, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। हर जगह से ठुकराए जाने के बावजूद उन्होंने इंसाफ की लड़ाई जारी रखी। तमाम परेशानियों से लड़ते हुए चंदा बाबू ने शहाबुद्दीन को उम्र कैद की सजा दिलवाई। इस बीच 2014 में चंदा बाबू के तीसरे बेटे राजीव की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई। जिस शहाबुद्दीन से पूरा सिवान खौफ खाता था, चंदा बाबू उस शहाबुद्दीन के सामने सीना ताने खड़े रहे, और शहाबुद्दीन को उसके किए की सजा दिलवाने के बाद ही उन्होंने दम लिया।
तेजाब हत्याकांड से पहले चंदा बाबू का एक भरा पूरा परिवार था। शहर में ही इनकी किराने की दुकान थी। सतीश और गिरीश भी किराने की दुकान चलाते थे। तेजाब हत्याकांड के बाद इनका परिवार पूरी तरह बिखर गया और इनकी जिंदगी से सुकून गायब हो गया। 2014 में राजीव की हत्या के साथ ही इनकी बची खुची उम्मीद भी खत्म हो गई।
फिलहाल चंदा बाबू अपने दिव्यांग बेटे और बहू के साथ रह रहे थे। आपको बता दें कि कुछ महीने पहले ही चंदा बाबू की पत्नी का भी निधन हो गया था। पत्नी की मौत के बाद चंदा बाबू की सेहत बिगड़ती रही और अंततः उन्होंने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया।