विश्वकर्मा : सृजन व निर्माण के देवता, आज है उनकी जयंती
नई दिल्ली । विश्वकर्मा सृजन व निर्माण के देवता हैं। समृद्धि के लिये बेहतर मस्तिष्क और सृजनात्मकता आवश्यक है। साथ ही,नवीन अभियांत्रिकी का इस्तेमाल भी। परिवार, समाज और देश की समृद्धि को ही दृष्टिगत रखते हुए हमारी प्राचीन व प्रगतिशील सनातन संस्कृति में विश्वकर्मा पूजा का विधान किया गया है। हर साल आज ही के दिन उनकी जयंती मनाई जाती है।

भगवान विश्वकर्मा को वास्तु, साधन, औज़ार ,युक्ति ओर निर्माण का देवता माना जाता है। विश्वकर्मा शब्द को एक उपाधि माना जाता है। कहा जाता है कि आदि विश्वकर्मा के बाद यह एक उपाधि हो गई। कुछ विद्वान अंगीरा पुत्र सुधन्वा को आदि विश्वकर्मा मानते हैं, तो कुछ भुवन पुत्र भौवन विश्वकर्मा को।
भगवान विश्वकर्मा देवताओं के आचार्य व ऋषि थे, जिन्होंने शिल्पशास्त्र का सर्जक माना जाता है। यही कारण है कि सभी कारीगरों ओर शिल्पियों के लिए वे अत्यंत पूज्य हैं। शिल्प संकायों, कारखानों, उधोगों ,इंजीनियरिंग संस्थानों आदि में प्रत्येक वर्ष उनकी जयंती पर विश्वकर्मा पूजा की जाती है। लोग अपने अपने घरों में भी अपने स्तर से यंत्रों की पूजा करते हैं।
विश्वकर्मा पूजा के बहाने हम अपनी ओर दूसरों की समृद्धि का हित चिंतन करते हैं और उसमें निरंतर वृद्धि का संकल्प लेते हैं।