भारतीय बाजार में सस्ती हो सकती है यूरोप की शराब
नई दिल्ली। भारतीय बाजारों में अब यूरोप की शराब सस्ती हो सकती है।
सूत्रों के अनुसार केंद सरकार यूरोप की शराब पर बेसिक कस्टम ड्यूटी कम करने की तैयारी में है, अगर ऐसा हो सका तो भारतीय बाजारों में यूरोपीय कंपनियों के शराब के दाम कम हो सकते हैं।
हाल ही में इस सिलसिले में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के अधिकारियों ने अल्कोहल पेय निर्माता कंपनियों के साथ बैठक की है। सरकार यूरोपीय संघ(ईयू) के साथ ईयू-इंडो व्यापार संधि
करने की तैयारी में है और इसके तहत ही यह कवायद चल रही है।
ईयू के साथ मुक्त व्यापार समझौता होने में वक्त लग सकता है, इसलिए सरकार फिलहाल सीमित वस्तुओं को लेकर ईयू इंडो व्यापार समझौता करना चाहती है। इससे जल्द से जल्द ईयू के साथ व्यापारिक रिश्ते आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। अभी विदेशी शराब पर 150 फीसद कस्टम ड्यूटी है।
इसे 75 फीसदी तक लाया जा सकता है। इससे भारत में विदेशी शराब सस्ती हो जायेगी, लेकिन घरेलू शराब निर्माता कंपनियों की परेशानी बढ़ सकती है। सरकार ने घरेलू शराब कंपनियों से पूछा है कि किस सीमा तक कस्टम ड्यूटी कम करने पर उनका कारोबार प्रभावित नहीं होगा।
कंफेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज( सीआईएबीसी) के महानिदेशक विनोद गिरी के अनुसार यूरोप में शराब उत्पादन की लागत भारत से 50 फीसदी कम है। ऐसे में कस्टम ड्यूटी को एक सीमा से अधिक कम करने पर भारतीय कंपनिया मुकाबला नहीं कर पाएंगी।
सीआईएबीसी के आंकड़ों के मुताबिक ईयू से भारत सालाना 1850 करोड़ रुपये की शराब आयात करता है, जबकि यूरोप में सिर्फ 160 करोड़ रुपये की शराब का निर्यात करता है। यूरोप में पूरी तरह अनाज से तैयार शराब के निर्यात की इजाजत है, जबकि भारत में मुख्य रूप से शीरे से शराब तैयार होती है।
यूरोप तीन साल पुरानी शराब को निर्यात करने की इजाजत देता है, जबकि जलवायु में अंतर के कारण भारत में यूरोप के मुकाबले 3.5 गुना तेज वाष्पीकरण होता है। इसका अर्थ है कि भारत की तीन साल पुरानी शराब यूरोप की 10.5 साल पुरानी शराब के बराबर होती है।
यूरोपीय शराब निर्माता कंपनियों को कस्टम ड्यूटी में छूट देने से पहले केंद्र सरकार को इन मुद्दों पर ईयू से बात करनी चाहिये, ताकि भारतीय शराब निर्यात का रास्ता साफ हो सके।
भारतीय बाजार में सस्ती हो सकती है यूरोप की शराब