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नये वर्ष में भी उच्चतम न्यायालय के फैसले पर रहेगी देश की नजर

नई दिल्ली। नये वर्ष में भी देश की नजर उच्चतम न्यायालय पर रहने वाली है जहाँ अहम सवैंधानिक और सामाजिक मामलों से जुड़े मुकदमों की सुनवाई होनी है।

उच्चतम न्यायालय

वर्ष 2021 में उच्चतम न्यायालय राष्ट्रीय और सामाजिक नजरिये से अत्यधिक महत्व के मामलों पर सुनवाई करेगी। इन मामलों में नागरिकता संशोधन अधिनियम( सीएए) , जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त करने संबंधी याचिका और आरक्षण का मामला शामिल है। इसके अलावा कृषि कानूनों की वैधानिकता और धार्मिक स्थलों में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी मामले की सुनवाई की जायेगी।

ये सभी ऐसे मामले हैं, जिन पर आने वाला न्यायालय का फैसला देश की दशा और दिशा को तय करेगा। सीएए और अनुच्छेद 370 राष्ट्रीय मुद्दे हैं। इन दोनों मामलों में सरकार के फैसले पर राष्ट्रव्यापी प्रतिक्रिया हुई थी। सी ए ए के विरोध में देश के कई भागों में प्रदर्शन हुआ था। इसे कई याचिकाओं के जरिये उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है। उच्चतम न्यायालय याचिकाओं पर सरकार को नोटिस भी जारी कर चुका है, अब केवल सुनवाई होनी है। इस कानून में अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर ,2014 तक आये हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन ,पारसी और ईसाई को नागरिकता देने के नियमों को आसान बनाया गया है। इस कानून को मुस्लिम विरोधी बता कर उसकी संवैधानिक मान्यता को चुनौती दी गई है।

अनुच्छेद 370 और 35 ए को समाप्त किये जाने के बाद जम्मू कश्मीर में देश का संविधान और कानून लागू हो गये हैं , जबकि पहले ऐसा नहीं था। इन दोनों ही अनुच्छेद के जरिये राज्य के लिये कुछ विशेष प्रावधान किये गये थे। इन दोनों विशेष प्रावधानों को समाप्त करने के सरकारी फैसले का कई जगहों पर विरोध हुआ था। इस मामले में उच्चतम न्यायालय में बहुत सी याचिकायें लंबित है, जिनमें जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाने के राष्ट्रपति के आदेश को निरस्त करने की मांग है।

देश की आधी आबादी यानि महिलाओं को प्रभावित करने वाला एक अहम मुद्दा उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ में लंबित है । नौ न्यायाधीश की पीठ धार्मिक स्थलों में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी के मामले पर विचार कर रही है। इस पर आने वाला फैसला सामाजिक स्तर पर बड़ा प्रभाव डालेगा।

आरक्षण शुरू से देश में एक अहम मुद्दा रहा है और इस पर न्यायालय के बहुत से फैसले आ सकते हैं। अभी भी उच्चतम न्यायालय में आरक्षण का मुद्दा लंबित है, जिसमें आरक्षण की अधिकतम पचास फीसदी की सीमा का मुद्दा विचारणीय है।

नये वर्ष में भी उच्चतम न्यायालय के फैसले पर रहेगी देश की नजर

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