डिप्रेशन और तनाव कोरोनो वैक्सीन के असर को कम कर सकता है
नई दिल्ली। डिप्रेशन और तनाव कोरोनो वैक्सीन के असर को कम कर सकता है।
अमेरिका में एक नये शोध से पता चला है कि लोगों की जान लेने के साथ ही कोरोनो वायरस मानसिक सेहत पर भी भारी पड़ रहा है। इसके कारण कई अन्य दूसरी समस्याओं के साथ ही तनाव और डिप्रेशन भी बढ़ रहा है। इस तरह की समस्याओं का प्रभाव किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली पर भी पड़ सकता है। इससे संक्रमण की रोकथाम की क्षमता बिगड़ सकती है।
दशकों के शोध से यह जाहिर हो चुका है कि डिप्रेशन, तनाव, अकेलापन और खराब सेहत के कारण शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर पड़ सकती है और कुछ खास वैक्सीन का असर भी कम हो सकता है। कोरोनो वायरस से मुकाबले के लिये तैयार किये गये वैक्सीन के मामले में भी यह बात सच साबित हो सकती है।
शोधकर्ताओं के अनुसार लोगों की खराब मानसिक और शारीरिक सेहत के साथ ही पर्यावरण संबंधित कारक प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकते हैं। इसके कारण किसी वैक्सीन का असर कम पड़ सकता है। यह उस दौर में खास तौर पर बड़ी चिंता की बात है, जब दुनिया भर में लोगों को कोरोनो महामारी के कारण अकेलापन, आर्थिक संकट और भविष्य की अनिश्चितता को लेकर चिंता और तनाव से जूझना पड़ रहा है। ये चुनौतियाँ उसी तरह के कारक हैं, जिनके कारण पूर्व में खास तौर से बुज़ुर्गों में वैक्सीन का प्रभाव कम पाया गया।
शोधकर्ताओं के अनुसार , अच्छी बात यह है कि कोरोनो के वैक्सीन तकरीबन 95 फीसदी तक प्रभावी पाये गये हैं। इसलिए इस तरह के कारकों के कारण शरीर में इम्युनिटी विकसित होने में लंबा वक़्त लग सकता है।