जानिए शुक्र ग्रह में ऐसा क्या मिल गया, जिससे वहां जीवन की संभावना बढ़ गई
विनोद कुमार
नई दिल्ली। खगोलशास्त्रियों के एक अध्ययन से यह बात सामने आई है कि शुक्र ग्रह के वायुमंडल में फॉस्फीन नाम की एक गैस है, जिससे यह संभावना जताई जा रही है कि इस ग्रह में जीवन हो सकता है।
ब्रिटिश शोधकर्ताओं की ओर से किये गये अध्ययन में उन्होंने शुक्र ग्रह पर फॉस्फीन गैस के मिलने के बारे में विस्तार से बताया है। उन्होंने बताया है कि ये अणु किसी प्राकृतिक,नॉन बायोलॉजिकल जरिए से बना हो सकता है।
शोधकर्ता हवाई द्वप समूह के मौना केआ ऑब्सर्वेटरी में जेम्स क्लर्क मैक्सवेल टेलिस्कोप और चिली स्थित अटाकामा लार्ज ऐरी टेलिस्कोप की मदद से शुक्र ग्रह नज़र रख रहे थे। इस दौरान उन्हें फॉस्फीन के स्पेक्ट्रल सिग्नेचर का पता चला, जिसके बाद वैज्ञानिकों ने संभावना जताई कि शुक्र ग्रह के बादलों में फॉस्फीन गैस बहुत बड़ी मात्रा में मौजूद है।
फॉस्फीन वह गैस है ,जो फॉस्फोरस के एक कण और हाइड्रोजन के तीन कणों से मिलकर बनी है। पृथ्वी पर फॉस्फीन का संबंध जीवन से है। ये पेंग्विन जैसे जीवों के पेट मे पाये जाने वाले सूक्ष्म जीवों से जुड़ा है। यह दलदल जैसी कम ऑक्सीजन वाली जगहों पर भी पाया जाता है। इस गैस को माइक्रो बैक्टेरिया ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में उत्सर्जित करते हैं। फॉस्फीन को कारखानों में भी बनाया जा सकता है, लेकिन शुक्र ग्रह पर तो कारखाने है ही नहीं और वहां कोई पेंग्विन भी नहीं है, तो शुक्र ग्रह पर इस गैस के उपस्थिति का कारण क्या है ओर वो भी ग्रह की सतह से 50 किलोमीटर ऊपर। ये एक बड़ा प्रश्न है।
गौरतलब है कि सौरमंडल में दूसरे किसी भी ग्रह के मुकाबले शुक्र पर जीवन की संभावना कम समझी जाती है। शुक्र ग्रह पर वायुमंडल की मोटी परत है, जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड की अधिकता है। यहां के वातावरण में 96 % कार्बन डाइऑक्साइड है। इस ग्रह पर वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी के मुकाबले 90 गुणा अधिक है।
(लेखक भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व छात्र हैं और न्यूज एजेंसी यूएनआई में काम कर चुके हैं।)