जानिए शिशिर ऋतु के गुप्त नवरात्रि का महत्त्व और इसका मुहूर्त
जानिए शिशिर ऋतु के गुप्त नवरात्रि का महत्त्व और इसका मुहूर्त। देवी भागवत के अनुसार साल में 4 बार नवरात्र होते हैं जिसमें मां दुर्गा की आराधना का विशेष महत्व होता है।
अधिकतर लोगों ने मुख्य रूप से दो नवरात्रि का वर्णन सुना है।
पहला बासन्तीय नवरात्रि जो चैत्र मास में जब हिंदू नववर्ष का प्रारंभ होता है।
दूसरा शारदीय नवरात्रि जो शरद ऋतु के आश्विन मास शुक्ल पक्ष में पड़ती है। इन दोनों नवरात्रि में माँ दुर्गा के नव रूपों में पूजा की जाती है।
इसके अलावा 2 नवरात्रि और आती है-
पहली वर्षा ऋतु में आषाढ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ती है और दूसरी शिशिर ऋतु में माघ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ती है जो 12 फरवरी से प्रारंभ हो रहा है।
आषाढ़ और माघ मास की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है।
इस बार माघ मास के गुप्त नवरात्र 12 फरवरी शुक्रवार से प्रारंभ हो रहे हैं और 22 फरवरी तक चलेंगे।
*क्यों है इस बार खास:*
इस बार शिशिर ऋतु के गुप्त नवरात्रि का प्रारम्भ सक्रांति को हो रहा है क्योंकी 12 फरवरी को ही सूर्यदेव मकर राशि से कुम्भ राशि में प्रवेश करेंगें और सौर मास के अनुसार माघ मास का समापन होगा और फाल्गुन सक्रांति का पर्व होगा। फाल्गुन सक्रांति का पुण्यकाल मध्याहन के पश्चात होगा।
*कलश स्थापना का मुहूर्त*: प्रातः 8:30 से 10 बजे।
*फाल्गुन सक्रांति का पुण्यकाल*: मध्याह्न के पश्चात
गुप्त नवरात्रि में मुख्य रूप से दस महाविद्याओं की पूजा होती है। पूजा की विधि सभी नवरात्रों में समान होती है।
कलश स्थापना के बाद मां भगवती के रूपों की पूजा के साथ दस महाविद्या देवियां तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुनेश्वरी, छिन्नमस्ता, काली, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी की पूजा-उपासना करें। इस गुप्त नवरात्र में उपासना का अधिक लाभ मिलेगा क्योंकि कुछ योग बहुत वर्षों के बाद बन रहे हैं।
*क्या होगा अगर करेंगे महविद्याओं की साधना गुप्त नवरात्रि में ?*
*काली*– पहली महाविद्या माँ काली की होती है जिससे किसी भी बीमारी या अकाल मृत्यु से बचा जा सकता है| इस सिद्धि से दुष्ट आत्माओं से भी बचाव किया जा सकता है|
*तारा*– दूसरी महाविद्या माँ तारा की होती है जो हमे तीव्र बुद्धि और रचनात्मक शक्ति प्रदान करती हैं|
*त्रिपुर सुंदरी*– अगर कोई भी काम ऐसा है जो सपन्न नहीं हो पा रहा है तो वह त्रिपुर सुंदरी की आराधना कर सकता है|
*भुवनेश्वरी*– माँ भुवनेश्वरी सभी की इच्छाएं पूरी करती हैं|
*छिन्नमस्ता*– देवी की साधना कर सभी प्रकार की रोज़गार सम्बन्धी मसले दूर होते हैं|
*त्रिपुर भैरवी*– भैरवी माँ की आराधना कर के विवाह में आई बाधाओं से मुक्ति मिलती है|
*धूमावती*– बुरी नजर, तंत्र-मंत्र, जादू-टोने, भूत-प्रेत से मुक्ति पाने के लिए धूमावती माँ को प्रसन्न किया जाता है|
*बगलामुखी*– माँ बगलामुखी को प्रसन्न कर के किसी भी समस्या का समाधान निकला जा सकता है|
*मातंगी*– देवी मातंगी घर-ग्रेह्स्थी से जुडी हर दिक्कत का उपाय बताती है|
*कमला देवी*– ये धन और सुंदरता की देवी हैं| इनकी साधना से सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है
*गुप्त नवरात्रि के माहात्म्य की कथा*:
ऋषि शृंगी साधना करने के बाद भक्तों को प्रवचन दे रहे थे। उसी समय भीड़ में एक महिला ने ऋषि का आशीर्वाद लेने के बाद अपनी व्यथा सुनाई कि मेरे पति व्यसनी है। इस कारण से हम रोज पूजन नहीं कर पाते हैं। कुछ ऐसा उपाय करें जिससे मुझे कम समय में देवी का आशीर्वाद मिले। ऋषि ने बताया अगर गुप्त नवरात्र में 10 महाविद्याओं का पूजन नियमानुसार कर लेते हैं, तो जातक को पूर्ण फल प्राप्त होता है। महिला ने गुप्त नवरात्रि का नियमानुसार पूजन किया। इससे उनके पति सदाचारी गृहस्थ हुए और घर में समृद्धि आई। तभी से गुप्त नवरात्रि गृहस्थ लोगों में प्रचलित हुई।
*वर्तमान गुप्त नवरात्र का समापन 22 फरवरी को दशमी तिथि को होगा।*
गुप्त नवरात्रि में की गई पूजा का फल विशेष फलदायक होता है।
साधक मनोवांछित फलों कि प्राप्ति के लिए नित्य दुर्गा कवच और दुर्गा सप्तशती और सिद्ध कुंजिका स्त्रोत्र का पाठ कर सकते हैं।
हिन्दु धर्म की मान्यतानुसार दुर्गा सप्तशती में कुल 700 श्लोक हैं जिनकी रचना स्वयं ब्रह्मा, विश्वामित्र और वशिष्ठ द्वारा की गई है और मां दुर्गा के संदर्भ में रचे गए इन 700 श्लोकों की वजह से ही इस ग्रंथ का नाम दुर्गा सप्तशती है और दुर्गा सप्तशती एक जाग्रत विज्ञान है इसलिए इसके पाठ का फल अवश्य प्राप्त होता है।
जानिए शिशिर ऋतु के गुप्त नवरात्रि का महत्त्व और इसका मुहूर्त
*पंडित पुरूषोतम सती*
श्री बद्रीनाथ ज्योतिष केंद्र-Astro Badri
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