जानिए कोरोनाकाल में आखिर अर्मेनिया और अजरबैजान क्यों मचा रहे हैं तांडव ?
कोरोना संकट के बीच ही दो पूर्व सोवियत देशों अर्मेनिया और अजरबैजान के बीच जंग छिड़ी हुई है।
दोनों देशों के बीच पिछले कई दिनों से जारी टकराव में अब तक सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है और कई हताहत हुए हैं।
अर्मेनिया के रक्षा मंत्रालय के अनुसार दक्षिण और उत्तर पूर्व के विवादित नागोरनो कारबाख इलाके में अजरबैजान की सेना ने हमला किया है। कारबाख रिपब्लिक की सेना इस हमले का मुँहतोड़ जवाब दे रही है।
दूसरी तरफ अजरबैजान की सेना के अनुसार उसने नागोरनो कारबाख के पर्वतीय इलाकों के कई अहम ठिकानों पर कब्जा कर लिया है और जवाबी कार्रवाई में दुश्मनों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है।
दोनों देश एक दूसरे पर विवाद भड़काने का आरोप लगा रहे हैं और देश में युद्ध छिड़ने का एलान कर दिया है। दोनों देशों ने एक दूसरे पर नागरिक क्षेत्रों पर हमले करने का आरोप लगाया है।
गौरतलब है कि नागोरनो कारबाख एक विवादित इलाका है जो शिया मुस्लिम बहुल देश अजरबैजान की सीमा में स्थित है। इस इलाके को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अजरबैजान का हिस्सा माना जाता रहा है, लेकिन वहाँ मुख्यत अर्मेनियाई आबादी रहती है और 1988 में कारबाख आंदोलन के उदय के बाद से वहां स्वतंत्र शासन है। हालांकि नागोरनो कारबाख को अभी अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली है। हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच इस इलाके में कई बार संघर्ष छिड़ चुका है। वर्ष 1994 से यहां एक शांति समझौता भी लागू है लेकिन वह बार बार टूटता रहा है।
दोनों देश इस विवादित क्षेत्र में 1980 के दशक के आखिरी और 1990 के दशक के शुरुआती सालों में जंग लड़ चुके हैं, यह वो समय था जब सोवियत संघ का विघटन हो रहा था और इन देशों की अपनी स्वतंत्र पहचान बन रही थी। गरीब देश अर्मेनिया बहुत हद तक रूस पर निर्भर है। वहीं तेल से भरे अज़रबैजान को तुर्की से समर्थन और सहयोग मिलता है।
इस बीच दोनों देशों के मध्य जारी संघर्ष को समाप्त करने के लिए कूटनीतिक कोशिशें भी तेज हो गई है। रूस और यूरोपीय संघ ने इस मौके पर दुर्लभ एकजुटता दिखाते हुए तुरंत संघर्ष विराम की मांग की है।