किसान जिद पर अड़े, दिल्ली सीमा पर ही डटे रहने का एलान
नई दिल्ली. कृषि कानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसान इस बार पीछे हटने के मूड में नहीं है। किसानों ने दिल्ली की सीमा पर ही डटे रहने का फैसला किया है। यह फैसला विरोध प्रदर्शन में जुटे विभिन्न किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की कोर कमेटी की रविवार को यहां हुई एक बैठक में लिया गया है।
बैठक में लिए गए फैसले की जानकारी देते हुए भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के एक नेता ने बताया कि किसान दिल्ली बॉर्डर पर ही डटे रहेंगे और यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार किसानों के प्रतिनिधियों से बातचीत नहीं करेंगे।
प्रदर्शनकारी किसान नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं। उनका कहना है कि नये कृषि कानून से किसानों के बजाय कॉरपोरेट को फायदा होगा।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को किसानों से दिल्ली के बुराड़ी ग्राउंड आकर प्रदर्शन करने की अपील की। साथ ही, उन्होंने किसानों को यह भी आश्वासन दिया कि बुराड़ी ग्राउंड शिफ्ट होने के दूसरे दिन ही भारत सरकार उनके साथ चर्चा के लिए तैयार है। लेकिन किसान नेताओं ने बुराड़ी ग्राउंड में प्रदर्शन करने की गृहमंत्री की अपील ठुकरा दी है। वे नये कृषि कानूनों को वापस लने की मांग पर अड़े हुए हैं।
किसान नेता किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की गारंटी चाहते हैं और इसके लिए नया कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। उनकी यह भी आशंका है कि नये कानून से राज्यों के एपीएमसी एक्ट के तहत संचालित मंडियां समाप्त हो जाएंगी, जिसके बाद उनको अपनी उपज बेचने में कठिनाई आ सकती है। नये कानून में अनुबंध पर आधारित खेती के प्रावधानों को लेकर भी वे स्पष्टता चाहते हैं।