कारगिल युद्ध में घायल सैनिकों से मिली प्रेरणा : दीपा मलिक
नई दिल्ली। पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी दीपा मलिक को उनके जीवन की प्रेरणा युद्ध में घायल सैनिकों से मिली। दीपा ने ‘इन द स्पोर्टलाइट’ चैट शो के दौरान टेबल टेनिस खिलाड़ी मुदित दानी से बातचीत के दौरान इसका खुलासा किया।
दीपा का यह भी कहना है कि अगले साल तोक्यो में होने वाले पैरालंपिक खेलों में देश के पदकों की संख्या दो अंकों में होगी।
भारतीय पैरालम्पिक समिति की अध्यक्ष दीपा ने अपनी अपंगता को कभी भी खेल के प्रति अपने जुनून के बीच नहीं आने दिया। 1999 में डॉक्टरों ने जब उन्हें बताया कि रीढ़ की हड्डी से ट्यूमर को निकालने के लिए की जाने वाली सर्जरी से उनके शरीर का निचला हिस्सा लकवाग्रस्त हो सकता है, तो उन्होंने कारगिल युद्ध में घायल हुए सैनिकों से प्रेरणा ली।
रियो पैरालम्पिक खेलों की रजत पदक विजेता दीपा ने कहा, “जिस अस्पताल में मैं भर्ती थी, वो कारगिल युद्ध में घायल सैनिकों से भरा हुआ था। मुझे लगता है कि उन्हीं से मुझे जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली। अगर ये युवा सैनिक अपना फर्ज निभाते हुए शरीर के अंगों को गंवा सकते हैं, तो एक बीमारी की वजह से मेरे अफसोस करने का कोई मतलब नहीं है।”
दीपा मलिका का कहना है कि भारतीय खिलाड़ियों ने नए मापदंड स्थापित किए हैं। उन्होंने कहा, “रियो पैरालम्पिक में हमारे खिलाड़ियों की संख्या 19 थी और हमने अपने पदकों को दोगुना किया था। हमने दो स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक जीता था। हमने पहले से ही एक मापदंड स्थापित किया है। अगले साल होने वाले टोक्यो पैरालम्पिक खेलों की खास बात ये है कि भारत इनमें दो अंकों में पदक जीतेगा।”