कांग्रेस में कलह : पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं
नई दिल्ली। लोकप्रिय नरेंद्र मोदी सरकार के सामने पहले से ही अपनी साख बचाने के लिए जूझ रही कांग्रेस काफी मुश्किल दौर से गुज़र रही है। देश के कई हिस्सों से जनाधार खो रही पार्टी अब अपने दिग्गज नेताओं के बगावत का सामना कर रही है। हालिया घटनाक्रम से यही प्रतीत होता है कि पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं है। बात कांग्रेस नेताओं की पार्टी में नेतृत्व परिवर्तन वाली चिट्ठी मीडिया में लीक होने से शुरू हुई। बताया जा रहा है कि इस चिट्ठी में कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद जैसे धुरंधरों के हस्ताक्षर थे।
सोमवार को हुई कार्यकारिणी की बैठक के बाद यह मामला फिलहाल तो शांत होता नजर आ रहा था। लेकिन कपिल सिब्बल के ट्वीट ने फिर से एक नई बहस छेड़ दी। दरअसल कल हुई बैठक में असन्तुष्ट नेता भी शामिल हुए थे और फैसला यह हुआ था कि अभी सोनिया गांधी ही अगले छह महीने बॉस बनी रहेंगी और इस बीच सारा रायता समेट लिया जायेगा। लेकिन सिब्बल के ट्वीट से यह समझ पाना काफी आसान है कि पार्टी में अभी भी सबकुछ ठीक नहीं है।
It’s not about a post
It’s about my country which matters most— Kapil Sibal (@KapilSibal) August 25, 2020
दरअसल राहुल गांधी ने चिट्ठी लिखने वाले नेताओं के लिए काफी तल्ख टिप्पणी कर दी थी और चिट्ठी लिखने की टाइमिंग पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि यह चिट्ठी ऐसे समय लिखी गई है जब सोनिया गांधी अस्पताल में थीं। साथ ही उन्होंने इसे बीजेपी के साथ मिलीभगत करार दिया था। जिसके बाद बगावती नेता कपिल सिब्बल ने अपने प्रोफाइल से कांग्रेस का नाम तक हटा दिया था और ट्विटर पर खुल कर अपना पक्ष रखा था। हालांकि उन्हीने अपना वह ट्वीट हटा लिया था और स्पष्टीकरण देते हुए एक और ट्वीट किया।
Was informed by Rahul Gandhi personally that he never said what was attributed to him .
I therefore withdraw my tweet .
— Kapil Sibal (@KapilSibal) August 24, 2020
बड़ा सवाल यह है कि आखिर गांधी परिवार नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट से ही तिलमिला क्यों जाता है। राहुल गांधी भले ही पार्टी अध्यक्ष न हो, लेकिन उनके बयानों , ट्वीट और वीडियो से ये कतई नहीं लगता कि वे पार्टी की अगुवाई नहीं कर रहे हैं। ऐसे में पार्टी में काफी अनिश्चितता का माहौल है। पार्टी नेता और कार्यकर्ता नेतृत्व परिवर्तन चाहते हैं। वहीं एक धड़ा राहुल गांधी को फिर से अध्यक्ष बनते देखना चाहता है।
सोनिया गांधी बीमार रहती हैं और लगातार राज्यों से बगावती तेवर सामने आते रहते हैं। ऐसे में पार्टी को एकजुट रखना का काम एक मजबूत अध्यक्ष ही कर सकता है। पार्टी में सबसे बड़ा संकट ही यही है कि गांधी परिवार को छोड़कर किसी अन्य को उस तरह से तैयार ही नही किया गया कि वो अध्यक्ष पद सम्भाल ले। दूसरी बात यह भी है कि क्या देश कमजोर होते कांग्रेस के गांधी परिवार से बाहर के अध्यक्ष को स्वीकार कर पाएगा।