आखिर अफगानिस्तान का बगराम क्यों है इतनी चर्चा में, जहां से अमेरिकी सैनिकों की वापसी ने खलबली मचा दी है
अफ़ग़ानिस्तान के बगराम वायुसैनिक अड्डे से अमेरिकी और नेटो सेना की आख़िरी टुकड़ी वापसी के लिए रवाना हो चुकी है. रक्षा अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी है.
पिछले काफी समय से चरणबद्ध तरीके से अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी हो रही है लेकिन बगराम से सेना का जाना बेहद महत्वपूर्ण है.
ये इलाक़ा 20 सालों से चरमपंथियों के ख़िलाफ़ लड़ाई का केंद्र रहा है. अमेरिका और नेटो की सेना का यहां से जाना ये दिखाता है कि जल्दी ही अफ़ग़ानिस्तान से विदेश सेनाएं की वापसी का काम पूरा होनमे वाला है.
लेकिन, राजधानी क़ाबुल के उत्तर में बड़े स्तर पर फैले इस सैन्य अड्डे से सेना का जाना तालिबान को अफ़ग़ानिस्तान के कई हिस्सों में बढ़त बनाने का मौक़ा दे सकता है.
राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा था कि अमेरिकी सेनाएं 11 सिंतबर तक अफ़ग़ानिस्तान से वापस चली जाएंगी. 11 सिंतबर को ही अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले की बरसी है. इस हमले में करीब तीन हज़ार लोग मारे गए थे.
ये हमले चरमपंथी संगठन अल-कायदा ने किए थे. अल-क़ायदा तालिबान की मदद से अफ़ग़ानिस्तान में सक्रिय था.
इस हमले के बाद अमेरिका के नेतृत्व वाली नेटो सेना ने अफ़ग़ानिस्तान में चरमपंथियों पर हमले किए और दोनों समूहों को हराया.
लेकिन, लंबी लड़ाई में गई जानों और इस पर होने वाले खर्च को देखते हुए अमेरिका अब इस युद्ध को ख़त्म करना चाहता है.

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बचेंगे हज़ार से भी कम सैनिक
अनुमान के मुताबिक़ अब तक अफ़ग़ानिस्तान में 2,500 से 3,000 अमेरिकी सैनिक मौजूद हैं. वो सात हज़ार नेटो सैनिकों के साथ यहां से जाने वाले हैं, जिसके बाद अफ़ग़ानिस्तान में 650 के आसपास विदेशी सैनिक रह जाएंगे.
इस बीच अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान का प्रभाव बढ़ता जा रहा है. विदेशी सेनाओं की वापसी से उत्साहित तालिबान ने कई ज़िलों पर कब्ज़ा कर लिया है. इसके चलते देश में गृह युद्ध की आशंका पैदा हो गई है.

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बगराम आने वाले समय की एक झलक दिखाता है. अमेरिकी सैन्य शक्ति का यह प्रतीक कभी सोवियत सेना का गढ़ हुआ करता था.
अब अफ़ग़ानिस्तान के सुरक्षाबलों के लिए शहर के अंदर मौजूद इस फैले हुए शहर पर नियंत्रण करना चुनौती बनने वाला है.
बगराम प्रतीकात्मक और रणनीतिक दोनों तरह से महत्वपूर्ण है. तालिबान के लड़ाकों की नज़र भी इस इलाक़े पर बनी हुई है.
यहां रहने वाले लोगों ने पिछले साल अक्टूबर में ही बीबीसी को बताया था कि तालिबान ने यहां पैर पसारना शुरू कर दिया है.
बगराम के वायुसैनिक अड्डे पर हाल ही में किए एक दौरे में हमें सुनने के मिला था कि अमेरिकी सेना के यहां से जाने में अफ़ग़ान सुरक्षा बल फायदा और नुक़सान दोनों देख रहे हैं.
इस चारदीवारी के अंदर अमेरिकी सेना का साजोसामान मौजूद है जो सुरक्षाबलों के लिए उपयोगी हो सकता है. लेकिन, तालिबान की भी इस ‘खजाने’ पर नज़र बनी हुई. वहीं, भ्रष्ट कमांडर और दूसरे कई लोग इस पर नज़र गढ़ाए हुए हैं.
एक बड़ी समस्या उन लोगों के लिए भी है जो इस वायुसैनिक अड्डे पर नौकरी करते थे. उनकी रोजी-रोटी इसी पर निर्भर थी. लेकिन, अब वो खाली हाथ रह गए हैं.

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बगराम क्यों अहम है?
ये हवाई अड्डा 1980 में सोवियत संघ के कब्ज़े के दौरान बनाया गया था. इसका नाम पास के एक गांव के नाम पर रखा गया. ये जगह राजधानी काबुल से उत्तर में 40 किलोमीटर दूर स्थित है.
अमेरिका के नेतृत्व वाली सेनाओं ने यहां साल 2001 में कदम रखा. इसे और बड़ा सैन्य अड्डा बनाया गया जिसमें एक साथ क़रीब दस हज़ार सैनिक ठहर सकते हैं.
इसमें दो रनवे हैं और हाल ही में बना रनवे 3.6 किलोमीटर लंबा है. इस पर बड़े कार्गो और एयरक्राफ्ट उतर सकते हैं.
अमेरिकी न्यूज़ एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्टों के मुताबिक़इस अड्डे पर एयरक्राफ्ट के लिए पार्किंग की 110 जगह हैं जो विस्फोटक-रोधी दिवारों से सुरक्षित हैं. यहां पर 50 बेड वाला अस्पताल, तीन थियेटर और एक आधुनिक दांतों का क्लीनिक भी है.
यहां बनी इमारतों में एक जेल भी है जिसमें टकराव बढ़ने की स्थिति में हिरासत में लिए गए लोग रखे जाते हैं. ये जेल अफ़ग़ानिस्तान की गुआंतानामो कहलाती है जो क्यूबा में अमेरिका की एक कुख्यात जेल रही है.
बगराम उन जगहों में से एक है जिसका जिक्र अल-क़ायदा के संदिग्धों से पूछताछ पर आई अमेरिकी सीनेट की रिपोर्ट में किया गया था. इसमें हिरासत केंद्रों में होने वाली प्रताड़ना का भी ज़िक्र था.
अब आगे क्या होगा?
‘अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिका की मदद जारी रखने’ से जुड़े मसले पर अमेरिकी सेना के वरिष्ठ कमांडर जनरल स्कॉट मिलर ने हाल में अफॉग़ान राष्ट्रपति अशरफ़ गनी से मुलाक़ात की. इसकी जानकारी प्रधानमंत्री के कार्यालय ने दी है.
एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी सेना के बाहर जाने के बाद देश में केवल 650 विदेशी सैनिक रह जाएंगे जिन्हें राजदूतों की सुरक्षा और क़ाबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की सुरक्षा में लगाया जाएगा. चारों तरफ से घिरे इस देश के लिए ये हवाई अड्डा बेहद अहम माना जाता है.
जब तक हवाई अड्डे की सुरक्षा के मसले पर अफ़ग़ान सरकार के साथ नए समझौते के लेकर बातचीत पूरी नहीं हो जाती नेटो में शामिल तुर्की के सैनिकों के साथ ये सैनिक यहां की सुरक्षा में तैनात रहेंगे. कुछ अमेरिकी सैनिकों को क़ाबुल में अमेरिकी दूतावास की सुरक्षा में रखा जाएगा.
सैन्य विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका के लिए ये ज़रूरी होगा कि वो अफ़ग़ान सरकार को बगराम सैन्य अड्डे पर अपनी मज़बूत पकड़ बनाए रखने और तालिबान को यहां पीछे धकेलने के लिए तैयार करे.
अफ़ग़ान सेना के एक प्रवक्ता फ़वाद अमन ने कहा, “आज के बाद से अफ़ग़ान आर्मी के जवान इसकी सुरक्षा करेंगे और वही आतंकवाद विरोधी अभियानों में शामिल होंगे.”
News Source- BBC HINDI
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