अफगानिस्तान: बुर्के में रहने वाली लड़कियों ने कार के कलपुर्जों से बनाया वेंटिलेटर
नई दिल्ली। आतंकवाद और कोरोना की दोहरी मार झेल रहे अफगानिस्तान की लड़कियों ने ऐसा कारनाम कर दिखाया है कि जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। ‘अफगान ड्रीमर्स’ नाम से फेमस लड़कियों के एक ग्रुप ने सस्ता और टिकाऊ वेंटिलेटर बनाया है, जिसे खास तौर पर डिजाइन किया गया है।
‘अफगान ड्रीमर्स’ के वेंटिलेटर की खासियत की बात करें तो सस्ता और टिकाऊ होने के साथ-साथ इसे कहीं भी आसानी से ले जाया जा सकता है। इसी चीज को ध्यान में रखते हुए वेंटिलेटर को डिजाइन किया गया है। इसकी बैटरी 10 घंटे तक चलती है। आम तौर पर वेंटिलेटर की कीमत 20,000 डॉलर यानी 14 लाख रुपये के आसपास होती है। लेकिन इस वेंटिलेटर की कीमत 700 डॉलर है। भारतीय करंसी के हिसाब से 52,000 के आसपास। 3 करोड़ 90 लाख आबादी वाले इस देश में सिर्फ 400 ही वेंटिलेंटर हैं।
इस खास वेंटिलेटर को टोयोटा कोरोला ब्रांड की कार का मोटर और होन्डा मोटारसाइकिल की चेन ड्राइव का प्रयोग करके बनाया है। इसका मकसद इमरजेंसी में सांस की तकलीफ से जूझ रहे मरीजों को तुरंत राहत है। इसके इलावा इनका लक्ष्य मई के आखिर तक बाजार में कम से कम कीमत पर ज्यादा से ज्यादा वेंटिलेंटर उपलब्ध कराना है। इस उपलब्धी पर लड़कियों के ग्रुप ने खुशी जाहिर की है। फिलहाल वेंटिलेटर की फाइनल टेस्टिंग की जा रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय जांच के बाद इसे अस्पतालों में भेजेगा।
स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना है कि अप्रूव होने के बाद इसे अस्पतालों में लगाया जाएगा। अफगानिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना हैकि इस डिजाइन को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के साथ भी शेयर किया जाएगा। अफगानिस्तान में इस वक्त कोरोना के 35 हजार 727 मरीज है। 1190 लोगों की अबतक मौत हो चुकी है।
कार के पुर्जों से वेंटिलेटर तैयार करने वाली लड़कियों को रोबोटिक्स गर्ल्स गैंग कहा जा रहा है। इस में 7 लड़कियां है। जो पिछले मार्च महीने से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही थी। लड़कियों के इस ग्रुप ने 4 महीने के अंदर ही वेंटिलेटर के इस काम को लगभग पूरा कर लिया है। वेंटिलेटर का डिजाइन Massachusetts Institute of Technology पर बेस्ड है। इस काम के लिए हावर्ड यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट्स ने उन्हें गाइड किया है। ‘अफगान ड्रीमर्स’ नाम से फेमस इस ग्रुप को 2017 में अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में विशेष पुरस्कार से नवाजा था।
अफगानिस्तान में महिलाओं की साक्षरता दर 30 फीसदी है। ऐसे में ये गर्ल गैंग लड़कियों को शिक्षित करने की सोच को बदल रहा है। गर्ल गैंग की इस पहल को अफगान सरकार ने भी काफी सराहा है। राष्ट्रपति अशरफ गनी इस प्रोजेक्ट के बारे में जानकार बेहद खुश है। और उन्होंने इस गर्ल गैंग को मदद का भी भरोसा दिया है।
(लेखिका का नाम पूजा है। वह भारतीय जनसंचार संस्थान की पूर्व छात्रा हैं और मीडिया के कई शीर्ष संस्थानों में काम करने का अनुभव है।)