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अपने खेल के अधिकार के लिए इस फुटबाल खिलाड़ी ने एआईएफएफ पर ही कर दिया मुकदमा

मोनिका चौहान
एक खिलाड़ी के लिए उसका खेल उतना ही मायने रखता है, जितना उसका खेलने का अधिकार और इस अधिकार के लिए वह कुछ भी कर सकता है। ऐसा ही कुछ हुआ है अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) के साथ। एक युवा फुटबाल खिलाड़ी अनवर अली ने अपने खेल के अधिकार को हासिल करने के लिए सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में एआईएफएफ के खिलाफ याचिका दायर की है।

साल 2017 में अंडर-17 विश्व कप में भारतीय फुटबाल टीम का प्रतिनिधित्व करने वाले अली ने एआईएफएम के निर्देश को चुनौती दी है। इस निर्देश में एआईएफएफ ने एक दुर्लभ हृदय स्थिति के कारण उनके क्लब के साथ अली के अभ्यास रोक लगाने का आदेश दिया है।

गौरतबल है कि 20 वर्षीय अली वर्तमान में ‘एपिकल हाइपरकार्डियो मयोपेथी (एचसीएम)’ नामक बीमारी से जूझ रहे हैं। पिछले साल, जब अली इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) में खेल रहे थे, तब उन्हें इस बामारी के बारे में पता चला था। इसके बाद, पिछले साल नवम्बर में फ्रांस की सेंटर हॉस्पिटेलियर यूनिवर्सिटेयर ने इसकी पुष्टि की। अली जिस उम्र में हैं, उस उम्र में इस बामारी के कारण उनके स्वास्थ्य पर खतरा कम है, लेकिन यह बाद में बढ़ सकता है।

इस बामारी के खुलासे के बाद से ही अली का करियर मझदार में है। पिछले माह उन्होंने कोलकाता के मोहम्मदन स्पोर्टिंग क्लब के साथ करार किया था, लेकिन एआईएफएफ के निर्देश के कारण वह इस क्लब के साथ अभ्यास नहीं कर पा रहे हैं।

अली के वकील अमिताभ तिवारी ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एआईएफएफ के इस निर्देश के खिलाफ याचिका दायर की है। इस याचिका में उत्तरदाताओं के रूप में एआईएफएफ और एआईएफएफ खेल चिकित्सा समिति का नाम दिया गया है।

वेबसाइट ‘ईएसपीएन’ को दिए एक बयान में अली के वकील तिवारी ने कहा, “इस याचिका पर सुनवाई बुधवार या गुरुवार को होगी। इस केस की एक कॉपी हमने एआईएफएफ को भेज दी है।”

तिवारी ने कहा, “सबसे मुख्य बात यह है कि समिति ने किसी प्रकार की जांच किए बगैर ही अली को ये निर्देश पत्र भेजा है। वह खेल नहीं सकते और ऐसे में उनकी अजीविका दांव पर लगी है। एआईएफएफ द्वारा इस मामले में किसी भी प्रकार के नियम या कानून का उल्लेख नहीं किया गया और ऐसे में उनकी अजीविका के साधन को उनसे नहीं छीना जाना चाहिए।”

इस याचिका में एआईएफएफ की खेल स्वास्थ्य समिति के स्तर पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। हालांकि, इस खेल स्वास्थ्य समिति का कहना है कि इसका गठन एआईएफएफ संविधान के अनुच्छेद 35 (4) के अनुपालन में नहीं किया गया है और इसलिए इस मुद्दे में इसकी कोई कानूनी भूमिका नहीं है।

एआईएफएफ संविधान के अनुच्छेद 35 (4) में दर्शाया गया है कि “संबंधित समितियों की संरचना, विशिष्ट कर्तव्यों और शक्तियों को संबंधित स्थायी समिति के नियमों में निर्धारित किया जाएगा।” ऐसे में तिवारी का कहना है कि एआईएफएफ के संविधान के तहत एआईएफएफ की स्वास्थ्य समिति के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है।

तिवारी का कहना है कि एआईएफएफ ने अली को सात सितम्बर को एक पत्र भेजा था। इसमें कहा गया था कि एआईएफएफ स्वास्थ्य समिति की पूछताछ के लंबित रहने तक वह अपने क्लब के साथ अभ्यास नहीं कर पाएंगे। इस खबर का पता अली को अखबार के ज़रिए लगा।

तिवारी ने कहा, “हमने एआईएफएफ को 24 सितम्बर को इस निर्देश के संबंध में एक पत्र लिखा था। इस पत्र में हमने उनसे पूछा है कि किन किन नियमों के आधार पर उन्होंने अली पर प्रतिबंध लगाया? 26 सितम्बर को एआईएफएफ ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि किसी भी प्रकार का फैसला अभी तक नहीं लिया गया है। फिर किस आधार पर अली को सात सितम्बर को यह निर्देश जारी कर प्रतिबंधित कर दिया गया। इसके बाद, 26 सितम्बर को स्वास्थ्य समिति का उत्तर आता है कि उन्होंने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है।”

इसके अलावा, तिवारी ने एआईएफएफ और खिलाड़ी के बीच संपर्क की कमी पर भी प्रश्न खड़े किए हैं। एआईएफएफ ने अली की मेडिकल रिपोर्ट एशियाई फुटबाल परिसंघ को भेज दी है। एएफसी ने भी उन्हें खेलने से रोका है। हालांकि, एएफसी के इस आदेश की कॉपी एआईएफएफ ने खिलाड़ी को नहीं दी है।

इसके अलावा, तिवारी ने याचिका में न्यायालय से गुजारिश की है कि वह एआईएफएफ को उन सभी खिलाड़ियों को सामने लाने का आदेश दे, जो इस बीमारी से ग्रस्त हैं। अपनी याचिका में तिवारी ने दिपेंदु बिस्वास और अनवर अली सीनियर के नाम ज़ाहिर किए हैं। अनवर अली सीनियर को मैदान में अचानक हृद्यघात हुआ था और बिस्वास भी एचसीएम से पीड़ित हैं। हालांकि, दोनों खिलाड़ियों को इस स्थिति में भी खेलने की अनुमति दी गई है।

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